Corona Brief News: कोरोना मरीज़ों का इलाज आर्थराइटिस की दवा से, गंभीर COVID मरीज़ों को Steroid देने की सिफारिश
Coronavirus pandemic: कोरोना वायरस (Coronavirus)के इलाज को लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया इलाज ढूंढने का दावा किया है। इस दावे के मुताबिक गंभीर कोरोना मरीज का इलाज ऑर्थराइटिस की दवा से किया गया,
जिसका इम्यून सिस्टम पूरी तरह से खराब हो चुका था, और मरीज़ को वेंटिलेटर की जरूरत थी, लेकिन इस दवा से बेकाबू इम्यून सिस्टम को कंट्रोल किया जा सका है।
दूसरी और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गंभीर Covid-19 मरीज़ों को Steroid देने की सिफारिश की है।
1. मिल गया कोरोना वायरस का इलाज
कोरोनावायरस (Coronavirus) के इलाज को लेकर जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि रुमेटॉयड आर्थराइटिस की दवा एक्टेमरा से कोरोना के 7 मरीज़ों का इलाज किया गया है। रिसर्चर्स के मुताबिक, यह दवा संक्रमण के बाद शरीर में होने वाले साइटोकाइन स्टॉर्म को भी रोकती है।
रिसर्चर्स का कहना है कोरोना के इन 7 मरीज़ों की हालत बेहद खराब थी। इन्हें वेंटिलेटर और ऑक्सीजन थेरेपी दी जानी थी। मरीज को यह दवा इंजेक्शन के रूप में दी गई। इससे संक्रमण के बाद शुरू हुए साइटोकाइन स्टॉर्म पर भी काबू पाया गया। और बेकाबू इम्यून सिस्टम को भी कंट्रोल किया गया।
क्या होता है साइटोकाइन स्टॉर्म?
साइटोकाइन स्टॉर्म की स्थिति में शरीर को बचाने वाला इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधी तंत्र) नुकसान पहुंचाने लगता है। यह या तो बहुत तेज काम करने लगता है या बहुत धीमा हो जाता है। नतीजा फेफड़ों में सूजन और पानी भर जाता है। सांस लेना मुश्किल होने लगता है। अगर समय पर कंट्रोल नहीं हुआ तो मरीज की मौत हो सकती है।
2.Who की सिफारिश, गंभीर कोविड मरीज़ों को दें Steroid
कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए दुनियाभर के अध्ययनों में सामने आया है कि स्टेरॉयड (steroids) कोविड-19 महामारी में जान बचा सकते हैं, जिसके चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए सिरे से सिफारिश की कि डॉक्टरों को गंभीर रूप से बीमार रोगियों को स्टेरॉयड देना चाहिए।
अध्ययन में सामने आया कि वेंटिलेटर की जरूरत वाले गंभीर कोरोना मरीज़ों को डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) नामक स्टेरॉयड द्वारा बचाया जा सकता है।
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित, सात परीक्षणों के कुल 1,703 रोगियों को कवर करने वाले परिणामों के एक मेटा-विश्लेषण के अनुसार, इन गंभीर रूप से बीमार रोगियों में मृत्यु का खतरा 20% तक कम हो जाता है।
3. देश का पहला कोरोना लंग्स ट्रांसप्लांट
चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया के बाद भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जहां गंभीर कोरोना मरीज़ का लंग्स ट्रांसप्लांट कर जान बचाई गई है। दिल्ली के एक 48 साल के बिजनेसमैन को गंभीर कोरोना हो गया, मरीज को एक महीने वेंटिलेटर पर रखा गया, हालात इतने खराब थे कि मरीज हाथ-पैर तो क्या, उंगलियां तक नहीं हिला पा रहा था। सिर्फ आंखों के इशारे से बातें कह पाता था, बाद में उसे
चेन्नई के एमजीएच हेल्थ केयर हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया, हॉस्पिटल के चेयरमैन और हार्ट-लंग ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के हेड डॉ. केआर बालाकृष्णन की टीम ने उन्हें इक्मो सपोर्ट पर डालने का फैसला किया। डॉ. बालाकृष्णन के मुताबिक भारत में किसी कोरोना संक्रमित के लंग्स ट्रांसप्लांट का ये पहला मामला है।
4.फेस शील्ड और वाल्व वाले मास्क की तुलना में कपड़े का मास्क बेहतर
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए तमाम तरह के फेस मास्क और प्रयोग किए जा रहे हैं। इसको लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि फेस शील्ड और वाल्व वाले मास्क आरामदायक तो होते हैं, लेकिन सुरक्षित नहीं होते इनकी तुलना में कपड़े का मास्क बेहतर बताया गया है।
नई स्टडी के मुताबिक, ज्यादा आरामदायक नजर आने वाले ये दोनों मास्क वायरल पार्टिकल्स के खिलाफ कम प्रभावी नजर आ रहे हैं। इससे पहले सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन भी प्लास्टिक फेस शील्ड और वेंट वाले मास्क या वाल्व के इस्तेमाल को लेकर मना कर चुकी है। हालांकि, लेजर के जरिए हुई नई स्टडी में यह साफ हुआ है कि पार्टिकल्स के बड़े कण फेस शील्ड या वेंटेड मास्क से निकलकर बाहर जा सकते हैं।
स्विट्जरलैंड में स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि होटल में वायरस फैलने के दौरान फेस शील्ड पहने कर्मचारी संक्रमित हुए, जबकि ट्रैडीशनल मास्क पहने कर्मचारी सुरक्षित रहे।
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