Corona Brief News: कोरोना के गंभीर मरीज़ों के लिए कारगर ‘एक्मो थेरेपी, पढ़ें Corona से जुड़ी ताजा खबरें
Coronavirus: कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रस्त गंभीर मरीज़ों के इलाज़ के लिए भारत में ‘एक्मो थेरेपी’ (ECMO therapy) का इस्तेमाल हो रहा है। कोरोना वायरस लंग और हार्ट पर अटैक करता है, ऐसे में ‘एक्मो थेरेपी’ (ECMO therapy) उन्हें रिकवर करने में मदद करती है,
लेकिन इसका दिन का खर्च करीब 50 हज़ार है। दूसरी और देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों पर आईसीएमआर (ICMR) ने गैर जिम्मेदार मास्क न पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने वालों को इसका जिम्मेदार ठहराया है।
1.कोविड मरीज़ों (Covid patient’s) के इलाज में ‘एक्मो थेरेपी है कारगर
मुंबई में कोरोना के बढ़ते गंभीर मामलों के इलाज के लिए एक नई तकनीक ‘एक्मो थेरेपी’ (ECMO therapy) का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन ये तकनीक बहुत महंगी है, इसका दिन का खर्च करीब 50 हज़ार रुपये है। मुंबई के ऋद्धि विनायक अस्पताल में अभी तक 11 कोविड मरीज़ों पर इसका इस्तेमाल हुआ है, जो सफल रहा है।
जानकारों के मुताबिक,वर्ल्डवाइड देखें तो जो मरीज जल्दी एक्मो पर डाले जाते हैं उनमें रिकवरी रेट क़रीब 50-55% है। भारत में बचने के चांसेस हैं 20-23 प्रतिशत. यहां कम इसलिए है क्योंकि मरीज़ एक्मो के लिए लेट रेफ़र किए जा रहे हैं और साथ ही इसकी कॉस्ट काफ़ी ज़्यादा है, 50,000 प्रति दिन का खर्च है।”
2. गैर जिम्मेदार लोगों की वजह से बढ़ रहा है कोरोना
कोरोना वायरस संकट को लेकर मंगलवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आईसीएमआर निदेशक ने कहा कि गैर-जिम्मेदार लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ठीक प्रकार से पालन कर रहे हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि कुछ गैर जिम्मेदार लोगों के मास्क नहीं पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रखने से देश में कोरोना महामारी बढ़ रही है। भार्गव ने यह भी कहा कि आईसीएमआर ने दूसरा राष्ट्रीय सीरो सर्वे शुरू किया है, जो सितंबर के पहले सप्ताह तक पूरा किया जाएगा।
जानें, क्या है सिरोलॉजिकल सर्वे है? और कोरोना के इलाज में सिरो सर्वे की भूमिका
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार सुबह अपने आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 67 हजार 151 केस मिले। वहीं, 1059 लोगों की मौत हो गई।
इसके साथ देश में अब तक मरीजों की संख्या बढ़कर 32 लाख 34 हजार 475 हो गई है। इनमें 7 लाख 7 हजार 267 एक्टिव मरीज हैं। वहीं, 24 लाख 67 हजार 759 लोग स्वस्थ हो गए हैं। अब तक देश में 59 हजार 449 मरीज दम तोड़ चुके हैं।
3.नाक पर लगाते ही वायरस को खत्म करने वाली दवा का चुहों पर सफल
नाक से दी जाने वाली कोविड-19 वैक्सीन का चुहों पर ट्रायल सफल रहा है। वैक्सीन की डोज चुहों में संक्रमण को रोकने में सफल रही, चुहे में इम्यूनिटी बढ़ी और न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडीज बढ़ी, वायरस का ट्रांसमिशन रुका और दोबारा संक्रमण नहीं हुआ।
रिसर्च करने वाली वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसकी एक या दो डोज ही कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए काफी हैं। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि वैक्सीन फेफड़ों के संक्रमण, सूजन और कोरोना के खतरों से बचाती है।
वैक्सीन कैसे काम करती है।
- नाक के रास्ते कोरोना की एंट्री ब्लॉक करती है वैक्सीन
- वैक्सीन की एक या दो डोज ही काफी
- पहली डोज से ही एंटीबॉडी तैयार होने लगती हैं
- चूहों में दोबारा संक्रमण नहीं हुआ
3.भारत में 3 वैक्सीन पर परीक्षण जारी, रूस से भी संपर्क में –
भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में रूसी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक -5 (रूस में विकसित COVID 19 वैक्सीन) के बारे में भी जानकारी दी, मंत्रालय ने कहा कि रूसी कोरोना वैक्सीन के लिए भारत लगातार रूस के संपर्क में है।
आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर (डॉ.) बलराम भार्गव ने कहा कि भारत में तीन COVID-19 वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। सीरम इंस्टीट्यट की वैक्सीन का 2 (बी) फेज और 3 फेज टेस्ट चल रहा है। भारत बायोटेक और जेडस कैडिला की वैक्सीन ने 1 फेज का टेस्ट पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी 10 टेस्ट प्रतिदिन, 15 मार्च 1000 टेस्ट प्रतिदिन, 15 मई 95000 टेस्ट और 21 अगस्त को हम 10 लाख टेस्ट प्रतिदिन के लैंडमार्क पर पहुंच गए हैं।
भार्गव ने कहा कि आइसीएमआर का सिरो सर्वे का प्रकाशन जल्द होने वाला है। यह इस सप्ताह इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में दिखाई देनी चाहिए।
4.चीन का दावा एक महीने पहले ही बना ली थी कोरोना वैक्सीन
- Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस के इलाज के लिए रूसी वैक्सीन के आ जाने के बाद चीन ने दावा किया है कि उसने एक महीने पहले ही कोरोना वैक्सीन बना ली थी।
- चीन का दावा है कि वह लोगों पर प्रयोगात्मक तौर पर कोरोना वैक्सीन (Covid-19 vaccine) का इस्तेमाल करने वाला पहला देश है। उसने (China) कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीज़ों (High-risk groups) पर जुलाई के अंत में कोरोना वैक्सीन का प्रयोग किया था, ऐसा दावा है।
- इस दावे को अगर सही माना जाए तो चीन ने रूस से तीन सप्ताह पहले ही अपने वैक्सीन को लोगों के बीच उतार दिया है। हालांकि दोनों ही वैक्सीन ने क्लीनिकल ट्रायल के मानकों (clinical trials) को पार नहीं किया है।
- वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट की माने तो , बीजिंग के स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि उन्होंने कुछ मेडिकल वर्कर्स और सरकारी उद्यमों से जुड़े कर्मचारियों पर जुलाई माह के आखिरकार में आपातकालीन प्रयोग के तहत वैक्सीन की खुराक दी थी।
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