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Corona mutation Alpha: कोरोना का नया वेरिएंट ‘अल्फा’ के अदृश्य रुप ने बढ़ाई चिंता

Corona mutation Alpha: कोरोना का नया वेरिएंट ‘अल्फा’ के अदृश्य रुप ने बढ़ाई चिंता

Corona mutation Alpha : कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद भारत के लगभग सभी राज्यों में अनलॉक कर दिया गया है, लेकिन कोरोना गाइडलाइन के निर्देशों की पालना के आदेशों के साथ। अनलॉक से जहां लोगों को राहत मिली है वहीं कोरोना के नए वेरिएंट ‘अल्फा‘ (Corona mutation alpha) ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि कोरोना का यह नया स्वरुप ‘अल्फा‘ शरीर में खुद को अद्रश्य बनाए रखता है। और तरह यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सबसे पहले प्रभावित करता है। 

1. कोरोना का नया वेरिएंट ‘अल्फा‘ (Corona mutation Alpha)

हाल ही में किए एक ताजा शोध से पता चला है कि कोरोना का कोरोना का नया वेरिएंट ‘अल्फा‘ शरीर में खुद को अदृश्य बनाए रखता है। इसके लिए सबसे पहले यह हमारे प्रतिरक्षा तंत्र की अग्रिम पंक्ति को निष्क्रिय (यानी कम करने की गति बंद कर देना) कर देता है, जिससे यह न सिर्फ जवाबी हमले से बच जाता है बल्कि इसे अपनी तादाद (अपने जैसे अनेक वायरस) बढ़ाने के लिए भी ज्यादा समय मिल रहा है।

2. कोरोना वायरस के नए वेरिएंट पर शोध (Study on Corona mutation Alpha)

अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस के नए वेरिएंट अल्फा के 23 म्यूटेशन मिले हैं। जो इसे अन्य कोरोना वायरस से अलग बनाते हैं। ऑनलाइन जारी हुई शोध रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस का अल्फा स्वरुप बहुत तेजी से शरीर में फैलता है और अपने जैसे ही नए वेरिएंट बनाने में कारगर रहता है। कई शोधकर्ताओं ने अपना ध्यान अल्फा के उन नौ म्यूटेशन पर केंद्रित किया, जो इसके स्पाइक प्रोटीन को बदल देते हैं। इनमें से एक म्यूटेशन अल्फा को कोशिकाओं से ज्यादा मजबूती से जकड़ने में मदद करता है, जिसके चलते सफल संक्रमण की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।

4. कोरोना का नया वेरिएंट अल्फा इम्यूनिटी को कैसे प्रभावित करता है? (How Corona mutation alpha effects immunity)

>>>अल्फा रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे प्रभावित करता है (How Corona mutation alpha effects immunity) यह जानने के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वायरसविद ग्रेगरी टावर्स और उनके सहयोगियों ने मानव फेफड़ों की कोशिकाओं में कोरोनवायरस विकसित किए। और अल्फा संक्रमित कोशिकाओं की तुलना कोरोना वायरस के पुराने स्वरूपों से संक्रमित कोशिकाओं से की गई। 

>>>इस अध्ययन में सामने आया कि अल्फा संक्रमित फेफड़ों की कोशिकाओं ने काफी कम इंटरफेरॉन (वायरस से सुरक्षा प्रदान करने वाला प्रोटीन) बनाया। साथ ही अल्फा कोशिकाओं में आमतौर पर इंटरफेरॉन द्वारा सक्रिय होने वाले रक्षात्मक जीन भी अन्य स्वरूपों से संक्रमित कोशिकाओं की तुलना में कम थे। इससे पता चलता है कि कोरोना का नया वेरिएंट अल्फा  (Corona mutation Alpha) शरीर की प्रतिरक्षा को अद्दश्य रुप से प्रभावित करता है, जो कि चिंता का विषय है।

4. 12 घंटे बाद बेहतर होने लगती है प्रतिरक्षा अलार्म

⭐⭐शोध के बारे में लिखने वाले सहलेखक और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में आणविक जीवविज्ञानी नेवान क्रसेगन का कहना है कि कोरोना के अल्फा स्वरूप में एक ऐसा म्यूटेशन है (Corona mutation Alpha) जो ओआरएफ9बी प्रोटीन के अत्यधिक निर्माण पर जोर देता है। यह इंटरफेरॉन का विकास कर पूरी प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देता है। 

⭐⭐और ऐसा करके अल्फा अपनी संख्या बढ़ाने में कामयाब हो जाता है। शोध के मुताबिक, शरीर में प्रतिरक्षा संक्रमण के करीब 12 घंटे बाद प्रतिरक्षा अलार्म फिर से बेहतर होने लगती है लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। 

डिस्क्लेमर

इस लेख में कोरोना का नया वेरिएंट अल्फा को लेकर जागरूकता के मद्देनजर सामान्य जानकारी दी गई है। स्वास्थ्य संबंधित लेटेस्ट अपडेट, किसी भी बीमारी के लिए घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श या दवाईयां मंगवाने के लिए डाउनलोड करें आयु ऐप। या कॉल करें 781-681-11-11 पर।

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