भारत में कोरोना की दूसरी लहर में मिला डबल म्यूटेंट वेरिएंट, जानें क्या है डबल म्यूटेंट वेरिएंट
Corona Double Mutant Variant In India: भारत में कोरोना वायरस के डबल म्यूटेंट वेरिएंट ने दस्तक दे दी है। इस बात की पुष्टि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर की है। मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, देश के 18 राज्यों में कई ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न्स’ (VOCs) पाए गए हैं। इसका मतलब हुआ कि भारत के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के अलग-अलग प्रकार की पुष्टि की गई है जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हो सकते हैं।
इन राज्यों में ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील के साथ-साथ भारत में पाया गया कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट वेरिएंट (Corona Double Mutant Variant) भी शामिल है।
क्या होता है म्यूटेंट वेरिएंट? (what is Corona Double Mutant Variant)
किसी भी वायरस का एक जेनेटिक कोड होता है। इसे एक तरह का मैनुअल समझें जो वायरस को बताता है कि उसे क्या और कैसे करता है। वायरस के जेनेटिक कोड में लगातार छोटे-छोटे बदलाव होते रहते हैं। अधिकतर बेअसर होते हैं मगर कुछ की वजह से वायरस तेजी से फैलने लगता है या घातक हो जाता है। बदले हुए वायरस को वैरिएंट कहते हैं। जैसे यूके और साउथ अफ्रीका वाले वेरिएंट को ज्यादा संक्रामक और घातक माना जा रहा है।
डबल म्यूटेंट वेरिएंट क्या है और इससे क्या खतरा है? How dangerous Corona Double Mutant Variant
- जब वायरस के दो म्यूटेटेड स्ट्रेन्स मिलकर कोई नया या तीसरा स्ट्रेन बनाते हैं तो उसे डबल म्यूटेशन कहते हैं।
- भारत में पाया जाने वाला ‘डबल म्यूटेंट’ वेरिएंट E484Q और L452R म्यूटेशंस का कॉम्बिनेशन (Corona Double Mutant Variant) है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक E484Q और L452R को अलग से वायरस को और संक्रामक व कुछ हद तक वैक्सीन से इम्यून पाया गया है।
- डबल म्यूटेशन वेरिएंट में वायरस पर इम्यून रिस्पांस काम नहीं कर पाता है यानी एंटीबॉडीज डबल म्यूटेशन वेरिएंट का कुछ नहीं बिगाड़ पाती हैं। और यह वैक्सीन के प्रभाव से बेअसर रहता है।
कैसे पता चला ‘डबल म्यूटेंट वेरिएंट’ का? (How did find Corona Double Mutant Variant)
इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसोर्टियम ऑन जेनोमिक्स (INSACOG) स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत बनाई गई 10 राष्ट्रीय लेबोरेट्री का समूह है जो देश में अलग-अलग हिस्सों से आए सैंपल की जीनोमिक सीक्वेंसिंग का पता लगाती है।
जीनोमिक सीक्वेंसिंग किसी जीव के पूरे जेनेटिक कोड का खाका तैयार करने की एक टेस्टिंग प्रक्रिया है। INSACOG का गठन 25 दिसंबर 2020 को किया गया था जो जीनोमिक सीक्वेंसिंग के साथ-साथ कोविड-19 वायरस के फैलने और जीनोमिक वेरिएंट के महामारी विज्ञान के रुझान पर अध्ययन करता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि INSACOG ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 10,787 पॉजिटिव सैंपल इकट्ठा किए थे जिसमें 771 ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न्स’ VOCs पाए गए। ये देश के 18 राज्यों से लिए गए सैंपल से मिले हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि पश्चिमी महाराष्ट्र से इकट्ठा किए गए सैंपल में से 15-20 फीसदी सैंपल्स में डबल म्यूटेंट वेरिएंट पाए गए हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा है, “दिसंबर 2020 की तुलना में महाराष्ट्र के हालिया सैंपल का विश्लेषण करने के बाद पता चला है कि यहां पर E484Q और L452R म्यूटेशन के सैंपल्स के कुछ हिस्सों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है।”
डिस्क्लेमर-
यह ब्लॉग किसी भी प्रकार से दवाई या डॉक्टर से लिया गया इलाज का विकल्प नहीं है। किसी भी समस्या के लिए डॉक्टर से www.aayu.app पर परामर्श लें।
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