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चमकी बुखार क्या है? लक्षण, बचाव और इलाज

चमकी बुखार क्या है? लक्षण, बचाव और इलाज

चमकी बुखार एक एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) है। इसे कई बार दिमागी बुखार भी कहा जाता है। इस बीमारी की वजह अभी तक पता नहीं लगा पाए है। चमकी बुखार में बच्चों के खून में शुगर और सोडियम की कमी हो जाती है। सही समय पर सही इलाज नहीं मिलने पर मौत भी हो सकती है। गर्मियों में तेज धूप और पसीना बहने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इस वजह से डिहाइड्रेशन, लो ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, थकान, लकवा, मिर्गी, भूख में कमी जैसे लक्षण महसूस हो सकते है।

यह बीमारी शरीर के नर्वस सिस्टम या तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। बहुत ज्यादा गर्मी एवं नमी के मौसम में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के फैलने की रफ्तार बढ़ जाती है। इस मौसम में इसकी तीव्रता काफी बढ़ जाती है।

गर्मियों में तेज धूप और पसीना बहने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इस वजह से डिहाइड्रेशन, लो ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, थकान, लकवा, मिर्गी, भूख में कमी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।

यह बीमारी शरीर के नर्वस सिस्टम या तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। बहुत ज्यादा गर्मी एवं नमी के मौसम में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के फैलने की रफ्तार बढ़ जाती है। इस मौसम में इसकी तीव्रता भी बढ़ जाती है।

चमकी बुखार के वायरस कैसे काम करते है?

इंसेफ्लाइटिस मानव मस्तिष्क से जुड़ी एक बीमारी है। हमारे मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती है। जब इन कोशिकाओं में सूजन या कोई अन्य दिक्कत आ जाती है, तो इसे एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहते है। यह एक संक्रामक बीमारी है।

चमकी बुखार के वायरस जब शरीर में पहुँचते है और खून में शामिल हो जाते है, तो इनका प्रजनन (Reproduction) शुरू हो जाता है। इसके बाद इनकी संख्या तेजी से बढ़ जाती है। खून के साथ बहकर यह बीमारी वायरस मस्तिष्क तक पहुँच जाते है।

मस्तिष्क में पहुँचने पर यह वायरस कोशिकाओं में सूजन का कारण बन सकती है और शरीर के ‘सेंट्रल नर्वस सिस्टम’ को खराब कर देते है।

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चमकी बुखार के लक्षण:

  • चमकी बीमारी में शुरुआत में तेज बुखार आता है।
  • इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है।
  • इसके बाद तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है।
  • इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है।
  • बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं और उन्हें दौरे भी पड़ने लग जाते है।
  • जबड़े और दाँत कड़े हो जाते है।
  • बुखार के साथ घबराहट भी शुरू हो जाती है और कई बार लोग कोमा में भी चले जाते है।

चमकी बुखार हो जाने पर क्या करें:

बच्चों को पानी पिलाते रहे, इससे उन्हें हाइड्रेट रहने और बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।

तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें।

पंखे से हवा करें या माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगाए ताकि बुखार कम हो सके।

बच्‍चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं उसकी गर्दन सीधी रखें।

बच्चों को पेरासिटामोल की गोली व अन्‍य सीरप डॉक्‍टर की सलाह लेने के बाद ही दें।

अगर बच्चे के मुँह से लार या झाग निकल रहा है तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे साँस लेने में दिक्‍कत ना हो।

बच्‍चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाएँ।

तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आँख को पट्टी से ढंक दें।

बेहोशी व दौरे आने की अवस्‍था में मरीज को हवा वाली जगह पर लिटाएं।

चमकी बुखार की स्थिति में मरीज को बाएं या दाएं करवट लिटाकर डॉक्टर के पास ले जाएं।

कैसे बच्चों को चमकी बुखार हो सकता है?

ऐसे बच्चें जो गरीबी की वजह से कुपोषण के शिकार है।

खाने-पीने की सही व्यवस्था नहीं होने पर बच्चें शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते है। जिस वजह से उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।

अस्वीकरण: सलाह सहित इस लेख में सामान्य जानकारी दी गई है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐप डाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है। 

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