पीलिया: जानें कारण, लक्षण और उपाए
पीलिया सधारण बीमारी है लेकिन इसका समय पर इलाज न होने पर गंभीर रूप ले लेती है. इसके होने पर त्वचा और आंखो का रंग पीला पड़ने लगता है. इस रोग के होने का कारण खून में पित रस और बिलरुबिन की मात्रा का बढ़ना है. यह रोग लिवर से संबंधित होता है. जिसके कारण भोजन पचाने में मुश्किल हो जाती है और शरीर में जहरीले पदार्थ बनने लगते हैं. आज हम आपको पीलिया के बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आप इस बीमारी से खुद का और अपने परिवार का ध्यान रख सकें.
कैसे होता है पीलिया
पीलिया एक ऐसी बीमारी है जो हेपेटाइटिस ‘ए’ या हेपेटाइटिस ‘सी’ वायरस के कारण फैलता है. पीलिया शरीर के अलग-अलग पार्टों को अपना शिकार बनाता है. इस रोग में पाचन तंत्र सही ढंग से काम नहीं करता है और शरीर का रंग पीला पड़ जाता है. इस रोग से बचने के लिए रोगी अनेक तरह के उपचार और एंटी बायोटिक का सहारा लेता है.
पीलिया के लक्षण
यह एक आम यकृत विकार हैं, जोकि कई असामान्य चिकित्सा कारणों की वजह से से हो सकते हैं. पीलिया होने पर किसी व्यक्ति को सिर दर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी, भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान आदि लक्षण होते हैं.
आंखों का सफेद भाग का पीला होना
- त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला हो जाना इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण है. ऐसा बिलिरुबिन का स्तर गिरने के कारण होता है जो कि एक ऐसा पिगमेंट है जो लीवर में रेड ब्लड सेल्स नष्ट होने से पैदा होता है. इसलिए कोई भी बीमारी जो लीवर के सिस्टम को प्रभावित करती है उसमें भी बिलिरुबिन का स्तर ऊंचा हो सकता है और उसका प्रभाव त्वचा पर दिख सकता है.
मूत्र का गाड़ा होना
- आमतौर पर ऐसा होता है कि लाल रक्त कोशिकाएं बिलिरुबिन में और फिर बाइल कहलाने वाले एक पिगमेंट में बदल जाते हैं. बिलिरुबिन के असामान्य स्तर होने पर यूरीन में बाइल पिगमेंट की मात्रा बढ़ जाती है. इससे यूरीन का रंग गहरा हो जाता है.
पेट के दाहिने तरफ दर्द होना
- पीलिया बिले डक्ट में बिलिरूबिन की रूकावट के कारण भी हो सकता है. ये रूकावट आमतौर पर गालस्टोन के रूप में या फिर बाइल डक्ट में सूजन के कारण होती है. इससे पिगमेंट का स्तर बढ़ जाता है. बहुत से लोगों को ऐसे में पेट दर्द होता है. आमतौर पर ये दर्द पेट के दाहिने तरफ होता है.
खुजली होना
- कोलेस्टासिस की वजह से जिन लोगों को पीलिया होता है उनको खुजली की शिकायत भी हो जाती है .शुरुआत में खुजली हाथों में होती है फिर पैरों में और धीरे धीरे पूरे शरीर को अपने चपेल में ले लेती हैं. रात को खुजली की ये समस्या काफी बढ़ जाती है.
पीलिया का घरेलू उपचार
मूली का रस
मूली के हरे पत्ते पीलिया में लाभदायक होते है. यही नहीं मूली के रस में भी इतनी ताकत होती है कि यह खून और लीवर से अत्यधिक बिलिरूबीन को निकाल सके. पीलिया या हेपेटाइटिस में रोगी को दिन में 2 से 3 गिलास मूली का रस जरुर पीना चाहिये या फिर इसके पत्ते पीसकर उनका रस निकालकर व छानकर पीएं.
आंवला
आवंले में भी विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. आप आंवला को कच्चा या फिर सुखा कर खा सकते हैं. इसके अलावा जूस के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है.
नीम
नीम में कई प्रकार के वायरल विरोधी घटक पाए जाते हैं, जिस वजह से यह हेपेटाइटिस के इलाज में उपयोगी होता है। यह जिगर में उत्पन्न विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने में भी सक्षण होता है। इसकी पत्तयों के रस में शहद मिलाकर सुबह-सुबह पियें।
नींबू
नींबू के रस को पानी में निचोड़ कर पीने से पेट साफ होता है. इसे रोज खाली पेट सुबह पीना पीलिया में सही होता है. इसके अवाला पाइनएप्पल भी लाभदायक होता है. पाइनएप्पल अंदर से पेट के सिस्टम को साफ रखता है.
हल्दी
देश के कुछ भागों में, लोगों को यह ग़लतफ़हमी है कि, क्योंकि हल्दी का रंग पीला होता है, पीलिया के रोगी को इसाक सेवन नहीं करना चाहिए. हालांकि यह एक कमाल का एंटी-इन्फ्लेमेट्री, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव वाली तथा बढ़े हुए यकृत नलिकाओं को हटाने वाली होती है. हल्दी हैपेटाइटिस के खिलाफ सबसे प्रभावी उपायों में से एक है.
टमाटर का रस
टमाटर का रस पीलिया में बेहद लाभदायक होता है. इसमें विटामिन सी पाया जाता है, जिस वजह से यह लाइकोपीन में रिच होता है. इसके रस में थोड़ा नमक और काली मिर्च मिलाकर पीयें.
गन्ने का रस
गन्ने का रस पीलिया के मरीज के लिए काफी फायदेमंद होता है. पीलिया के मरीज का लीवर अच्छे से काम नहीं करता है, जिससे शरीर के द्रवों में बिलरूबिन की मात्रा बढ़ जाती है.शरीर की त्वचा पीली हो जाती है.ऐसे में गन्ने का रस शरीर में प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है जिससे मरीज को पीलिया से जल्दी उबरने में मदद मिलती है.
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Sadanand Yadav
Sir meri sister ko piliya hai to osko yesa kya kre ki es beemari se door ho ske plz sir fast reply advise