Corona Brief News: कैंसर की दवा AR-12 से कोरोना को बढ़ने से रोका जा सकता है- रिसर्च
कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए तरह-तरह के प्रयास और अध्ययन किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसके प्रसार को रोकने के लिए कोई कारगर वैक्सीन नहीं बनी है जिससे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने का दावा किया जा सके।
हाल ही में अमेरिका में हुई रिसर्च में सामने आया है कि कैंसर की दवा AR-12 से कोरोना और उसकी संख्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। इस ड्रग पर अगला ट्रायल 2021 की शुरुआत में होगा।
AR-12 को ओरल ड्रग (मुंह से दी जाने वाली दवा) के तौर पर दिया जा सकता है। अब तक हुए ट्रायल में साबित हो चुका है कि यह सुरक्षित है।
1. रिसर्च में दावा, कैंसर की इस दवा से रुकेगा कोरोना
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कैंसर ड्रग AR-12 से कोरोना को रोकने का दावा किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस ड्रग से संक्रमण के बाद शरीर में कोरोना की संख्या बढ़ने से भी रोका जा सकता है। यह रिसर्च अमेरिका की कॉमनवेल्थ वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है।
AR-12 का इस्तेमाल जीका, इन्फ्लुएंजा, रुबेला, चिकनगुनिया और ड्रग रेसिस्टेंट एचआईवी में किया जा चुका है। इसके इस्तेमाल से अब तक सामने आए परिणाम असरदार रहे हैं।
कैसे काम करती है कैंसर की दवा AR-12
वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर पाउल डेंट का कहना है, AR-12 ड्रग काफी अलग तरह से काम करती है। यह वायरस के प्रोटीन को तैयार करने वाले उस हिस्से (सेल्युलर शेपरोन) को रोकती है जिसकी वजह से यह संक्रमण फैलाता है।
बायो केमिकल फार्मेकोलॉजी जर्नल के मुताबिक, वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए GRP78 प्रोटीन की जरूरत होती है, AR-12 ड्रग इसी प्रोटीन को रोकती है। इसकी मदद से वायरस इंसानों में अपनी संख्या बढ़ाता है।
2. इस नए इनोवेशन से कोरोना फ्री होगा कैम्पस
देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) से संक्रमित मरीज़ों की संख्या 58 लाख के पार पहुँच चुकी है, ऐसे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 1 अक्टूबर से देश भर के कॉलेज- यूनिवर्सिटी में नए सेशन की कक्षाएं शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। जो माता-पिता के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
इसी बीच शिलांग स्थित नॉर्थ- ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी( NEHU) के शोधकर्ताओं ने स्टूडेंट्स को संक्रमण से बचाने के लिए इसी दिशा में एक बेहतरीन इनोवेशन करते हुए बुक सैनेटाइजिंग मशीन विकसित की है।
एक राउंड में लगभग 150 किताबें सैनिटाइज हो सकेंगी, ये राउंड 45 मिनट का होगा। एक किताब को सैनेटाइज करने का खर्च लगभग 20 पैसा है। ये सैनेटाइजिंग मशीन ऑटो कंट्रोल्ड मोड में काम करेगी।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मशीन में रीडिंग मटेरियल के डैमेज होने का भी कोई खतरा नहीं है। ये एक कंपोजिट मशीन है, जो किताबों को सैनेटाइज करने के लिए अल्ट्रावॉयलेट रे और हीट टेक्नोलॉजी से किताबों को सैनेटाइज करेगी।
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