ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण और उपाय | Daily Health Tip | 24 March 2020 | AAYU App
“ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए धूम्रपान कम करें, रोजाना व्यायाम करें, वजन, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण करें। “
” To reduce the risk of brain stroke, avoid smoking, exercise daily and maintain your weight, Blood Pressure and cholesterol. “
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ब्रेन हेमरेज में खून की नली ब्रेन के अंदर या बाहर फट जाती है। अगर अचानक या बहुत तेज सिरदर्द हो या उलटी आ जाए, बेहोशी छाने लगे तो हेमरेज की आशंका ज्यादा होती है। ब्रेन हेमरेज से भी पैरालिसिस होता है। इसमें खून का थक्का जम जाता है और इसे हटाने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। दूसरी तरफ, अगर रक्त वाहिकाओं में किसी रुकावट की वजह से दिमाग को खून की सप्लाई में कोई रुकावट आ जाए या सप्लाई बंद हो जाए तो दिमाग की कोशिकाओं में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने लगती है और कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती है। इसे स्ट्रोक कहते है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण:
जब भी शरीर के किसी एक भाग में कमजोरी लगने लगे या बोलने में जुबान लड़खड़ाए या बोली बंद हो जाए, देखने में दिक्कत हो या फिर चलने-फिरने में परेशानी हो तो यह ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण हो सकते है। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इन सभी परेशानियों के उभरने के ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे के भीतर इलाज मिल जाना चाहिए। इससे मरीज के ठीक होने के आसार काफी बढ़ जाते है।
किसको ज़्यादा खतरा:
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को इसका खतरा ज्यादा है। अगर किसी को शुगर या बीपी की फैमिली हिस्ट्री है तो 40-45 साल की उम्र में जांच के जरिए पता लगाना चाहिए कि उसे शुगर या बीपी का खतरा है या नहीं। दरअसल, उम्र बढ़ने और शुगर व बीपी होने पर ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर 55-60 साल की उम्र में खतरा बढ़ना शुरू हो जाता है लेकिन यह युवाओं में भी हो सकता है।
स्ट्रोक के प्रकार:
लगभग 85 प्रतिशत स्ट्रोक इस्कीमिक स्ट्रोक होते है। शेष 15 प्रतिशत स्ट्रोक ब्रेन हेमरेज के कारण होते है। ब्रेन हेमरेज का एक प्रमुख कारण हाई ब्लड प्रेशर है। इस्कीमिक स्ट्रोक तब होता है, जब मस्तिष्क की धमनियां संकरी या अवरुद्ध हो जाती है। इससे रक्त प्रवाह में काफी कमी हो जाती है। इसे इस्कीमिया कहा जाता है। इस्कीमिक स्ट्रोक के अंतर्गत थ्रॉम्बोटिक स्ट्रोक को शामिल किया जाता है। जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में से किसी एक में रक्त का थक्का (थ्रॉम्बस) बनता है तो थ्राम्बोटिक स्ट्रोक पड़ता है। यह थक्का धमनियों में वसा के जमाव (प्लॉक) के कारण होता है जिसके कारण रक्त प्रवाह में बाधा आ जाती है। इस स्थिति को एथेरोस्क्लीरोसिस कहा जाता है।
एम्बोलिक स्ट्रोक:
मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली किसी एक धमनी में मस्तिष्क से दूर किसी अन्य अंग, आमतौर पर आपके हृदय में रक्त के थक्के (थ्रॉम्बस) बनते है, जो रक्त प्रवाह के साथ बहकर मस्तिष्क की रक्त धमनी को संकरा बना देते है। इस तरह के रक्त के थक्के को एम्बोलस कहा जाता है।
ट्रांजिएंट इस्कीमिक अटैक (टीआईए):
इस्कीमिक अटैक (टीआईए) को मिनी स्ट्रोक के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कम समय के लिए उसी तरह के लक्षण प्रकट होते हैं, जिस तरह के लक्षण स्ट्रोक के समय होते है। मस्तिष्क के किसी हिस्से में थोड़े समय के लिए रक्त आपूर्ति में कमी होने पर टीआईए की स्थिति उत्पन्न होती है, जो पांच मिनट से भी कम समय तक रहती है। अगर किसी व्यक्ति को टीआईए हुआ है तो इसका मतलब यह है कि मस्तिष्क या हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोई धमनी आंशिक तौर पर अवरुद्ध हुई है या संकरी हुई है।
ब्रेन स्ट्रोक के इलाज:
कम नमक खाएं: जिनको ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण है उन्हें कम से कम नमक खाना चाहिए। ज़्यादा नमक खाने से हाइपर टेंशन होता है जो ब्रेन स्ट्रोक का कारण है।
तनाव कम लें:
तनाव कम लेना चाहिए क्योंकि खून का थक्का जो बनता है वह मोबीलाइज़ नहीं होना चाहिए नहीं तो ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।
फैट बढ़ाने वाला खाना कम खाएं:
खाना जिससे फैट बढ़ता है उसमे कोलेस्ट्रॉल ज़्यादा होता है जो ब्रेन स्ट्रोक का एक कारण है। इसलिए कम फैट वाला खाना खाना चाहिए।
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