विटामिन की कमी से होने वाले रोग, जानें शरीर के लिए क्यों जरूरी है विटामिन?

कोरोना वायरस की अब तक कोई दवा नहीं बनी है। अभी आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही लड़ सकती है।विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते है। आइये आपको बताते है शरीर के लिए क्यों जरूरी है विटामिन (Why Vitamins are beneficial for body), विटामिन्स के शरीर में फायदे (Benefits of Vitamins in body) और किस विटामिन की कमी से कौन से रोग होते है।
सेहत की बात विटामिन के बिना नहीं हो सकती क्योंकि इन्हें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के नाम से जाना जाता है और इनकी कमी होने से हम बिमारियों की गिरफ्त में आ जाते है अगर हम अपने खानपान पर ध्यान देते है तो हम इन रोग से बच सकते है।
शरीर के लिए क्यों जरूरी है विटामिन: Why Vitamins are beneficial for body
विटामिन्स का सेवन शरीर के उचित विकास और अन्य कार्यों की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण है। विटामिन्स का मुख्य कार्य भोजन को ईंधन में बदलना है जिससे शरीर में खाया हुआ खाना ठीक से पच सके और शरीर को सही रूप में एनर्जी मिल सके।
विटामिन्स के शरीर में फायदे: Benefits of vitamins in body
विटामिन-ए: विटामिन-ए प्रतिरक्षा तंत्र के विकास और आंखों की रोशनी को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होते है।
यह रोडोप्सिन नामक पोषक गुण को उत्तेजित करते है जो आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद होते है क्योंकि यह रेटिना रिसेप्टर्स में रोशनी को अवशोषित करते है। यह विटामिन कोशिकाओं के निर्माण और शरीर के समग्र विकास के लिए भी जरूरी होते है।
विटामिन ए का सेवन आप डेयरी उत्पाद, मछली का तेल, हरी सब्जियों और फल आदि से कर सकते है।
विटामिन-बी: विटामिन-बी का मुख्य काम शरीर की पाचन क्रिया को स्वस्थ रखना है।
कार्बोहाइड्रेट, फैट और शरीर में संग्रहीत अन्य पोषक तत्वों का इस्तेमाल बी समूह विटामिन की मदद से किया जाता है। विटामिन-बी मांस, अंडे, डेयरी उत्पाद, सेम, मटर, अंकुरित अनाज, अदरक, गाजर, चुकंदर, मूंगफली और किशमिश जैसे खाद्य पदार्थों में प्रचुर मात्रा में पाए जाते है।
विटामिन-बी के कई रूप है जैसे विटामिन-बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी7, बी9 और विटामिन बी 12 है।
विटामिन-सी: विटामिन-सी को एल-एस्कॉर्बिक एसिड के रूप में भी जाना जाता है जो शरीर की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के साथ ही शरीर की इम्यूनिटी की भी रक्षा करता है।
हालांकि, मानव शरीर विटामिन-सी का उत्पादन करने में असमर्थ है। इसीलिए आप इसके फायदों जैसे बेहतर प्रतिरक्षा, घाव भरने और एंटी-ऑक्सीडेंट के पुनर्जनन के लिए कुछ आहार स्रोतों से प्राप्त कर सकते हैं।
आंवले के साथ ही यह कुछ फलों और सब्जियों में भी विटामिन-सी अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
विटामिन-डी: जब सूरज की पेराबैंगनी किरणें त्वचा पर पड़ती है तो मानव शरीर आंतरिक रूप से विटामिन-डी का उत्पादन करता है। यह विटामिन हड्डियों के विकास, शरीर में कैल्शियम के अवशोषण और न्यूरोमस्कुलर और प्रतिरक्षा कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा, यह शरीर की सूजन को कम करके नुकसान पैदा करने वाले तत्वों से सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे शरीर का समग्र विकास होता है।
विटामिन-ई: यह विटामिन मुख्य रूप से त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है। यह विटामिन किडनी के रोगों के निजात दिलाने और लंबी बीमारियों का इलाज करने में भी मदद करता है। वनस्पति तेल, अनाज, मांस, अंडे, फल और सब्जियों में यह विटामिन मौजूद होता है।
विटामिन-के: यह विटामिन शरीर में रक्त को गाढ़ा और अत्यधिक रक्तस्राव की रोकथाम में सहायक होता है। यह विटामिन पालक, शतावरी, ब्रोकोली, हरी फलियों आदि सब्जियों में मौजूद होता है।
विटामिन्स की कमी से होने वाले रोग:
विटामिन-ए की कमी से होने वाले रोग: विटामिन-ए दो फार्म में पाए जाते है, रेटिनॉल और कैरोटीन। विटामिन-ए आंखों के लिए बहुत जरूरी होता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों जैसे त्वचा, बाल, नाखून, ग्रंथि, दांत, मसूड़ा और हड्डी को सामान्य रूप में बनाए रखने में मदद करता है। विटामिन-ए की कमी से ज्यादातर आंखों की बीमारियाँ होती है, जैसे रतौंधी, आँख के सफेद हिस्से में धब्बे। यह रक्त में कैल्शियम का स्तर बनाए रखने में भी मदद करती है और हड्डियों को मजबूत करती है।
विटामिन-बी की कमी से होने वाले रोग: विटामिन-बी हमारी कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन, डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत में सहायता करते है। इसके कई काम्पलेक्स होते है, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी7 और बी12। यह बुद्धि, रीढ़ की हड्डी और नसों के कुछ तत्वों को बनाने में मदद करता है।
लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी इसी से होता है। इसकी कमी से बेरीबेरी, त्वचा संबंधित बिमारियाँ, एनीमिया, मंदबुद्धि जैसी कई खतरनाक बिमारियाँ हो सकती है। इसका आनुवंशिक कारण भी हो सकता है। आंतों एवं वजन घटाने की सर्जरी करवाना भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। शाकाहारी लोगों में इसकी कमी आम बात हो जाती है क्योंकि यह विटामिन ज्यादातर जानवरों में पाया जाता है।
विटामिन-सी की कमी से होने वाले रोग: विटामिन-सी शरीर की मूलभूत रासायनिक क्रियाओं में यौगिकों का निर्माण और उन्हें सहयोग करता है। तंत्रिकाओं तक संदेश पहुँचाना या कोशिकाओं तक ऊर्जा प्रवाहित करना आदि। विटामिन-सी मानव शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक है। यह एस्कॉर्बिक अम्ल होता है जो कि हर तरह के सिट्रस फल में जैसे नींबू, संतरा, अमरूद, मौसमी आदि में पाया जाता है।
विटामिन-सी की कमी से स्कर्वी नामक रोग हो सकता है, जिसमें शरीर में थकान, मासंपेशियों की कमजोरी, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, मसूढ़ों से खून आना और टांगों में चकत्ते पड़ने जैसी दिक्कतें हो जाती है। विटामिन-सी की कमी से शरीर छोटी छोटी बीमारियों से लड़ने की ताकत भी खो देता है, जिसका नतीजा बीमारियों के रूप में सामने आता है।
विटामिन-डी की कमी से होने वाले रोग: विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्रोत सूर्य की किरणें है। जब हमारे शरीर की खुली त्वचा सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आती है तो यह किरणें त्वचा में अवशोषित होकर विटामिन-डी का निर्माण करती है। अगर सप्ताह में दो बार दस से पंद्रह मिनट तक शरीर की खुली त्वचा पर सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणें पड़ती है तो शरीर की विटामिन-डी की पूर्ति हो जाती है।
इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती है, हाथ और पैर की हड्डियां टेढ़ी भी हो जाती है। मोटापा बढ़ने के साथ ही शरीर में विटामिन-डी का स्तर कम होता जाता है, जो लोग मोटापे जैसी बीमारी से ग्रस्त है उन्हें विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के साथ-साथ मोटापे को भी कम करना चाहिए।
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