Navratri 2020: व्रत का हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? जानें व्रत के फायदे और नुकसान
नवरात्रि में लोग नौ दिन का व्रत करते हैं। आइये जानते हैं व्रत का क्या है हमारे स्वास्थ्य से जुड़ाव? व्रत करने के नुकसान और फायदे और अलग-अलग व्रत के प्रकार।
व्रत का क्या है हमारे स्वास्थ्य से जुड़ाव:
- व्रत रखने से डाइजेशन और मलत्याग (Excretion) की प्रक्रिया अच्छी तरह से होती है साथ ही हार्ट की पंपिंग की प्रक्रिया भी सुधरती है।
- व्रत के दौरान पाचन तंत्र से जुड़े अंगों को आराम मिलता है। इससे बचने वाली ऊर्जा का उपयोग आत्म चिकित्सा और आत्म मरम्मत के लिए किया जाता है।
- व्रत रखकर अवरोधों (रुकावटों) को नष्ट करके, सफाई करके, आंतों, रक्त और कोशिकाओं को शुद्ध करके हम अपनी कई शारीरिक बीमारियों से छुटकारा पाते हैं तथा हमारी ऊर्जा शक्ति भी बढ़ती है।
- व्रत ना केवल अवरोधों को हटाकर शरीर को स्वयं स्वस्थ होने में मदद करता है, बल्कि यह कायाकल्प (Rejuvention) करने के साथ उम्र भी बढ़ाता है। व्रत के इन फायदों का हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर स्थाई प्रभाव हो सकता है।
- हमारे पाचन तंत्र के लिए व्रत अच्छा होता है। महीने में कम से कम तीन बार उपवास रखने से हमारी पाचन क्रिया दुरुस्त होती है। इससे हमारे पेट और लिवर को भी आराम मिलता है।
- व्रत मानसिक शांति का बेहतर विकल्प होता है। इससे तनाव, चिंता और अवसाद से बचा जा सकता है।
- व्रत के दौरान आप फलाहार के अलावा खाने-पीने पर अधिक ध्यान नहीं देते, जबकि तरल पदार्थों का सेवन अधिक करते हैं। जिससे आपके शरीर में पानी की कमी पूरी होती है और त्वचा हाइड्रेटेड रहती है। उपवास करने से मेटाबोलिज्म प्रभावित होता है जिससे हार्मोन्स, गुर्दे, लिवर आदि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- भागदौड भरी जिंदगी में अनावश्यक और अनियंत्रित खानपान से पूरी दिनचर्या और अन्य चीजें प्रभावित होती है। नवरात्रि के उपवास के दौरान आप अपनी जीवनशैली और आहार योजना को व्यवस्थित कर सकते हैं। इन दिनों आप पेट संबंधी समस्याओं से छुटकारा भी पा सकते हैं। इस दौरान समय-समय पर हल्का और पौष्टिक आहार लेकर गैस, मितली, एसीडिटी, दस्त, पेशाब में जलन जैसी समस्याओं को समाप्त कर सकते हैं।
व्रत करने के नुकसान:
कई बार हम व्रत में फलाहार की वजह से जरूरत से ज्यादा भोजन कर लेते हैं। इस भोजन को पचाने के लिए बहुत ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। इस वजह से उपवास के समय अन्य कामों के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती।
व्रत आपके गुर्दों (Kidney) को प्रभावित कर सकता है तथा यह गुर्दे की पथरी का कारण बन सकता है। इस समस्या से बचने के लिए हमें पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि कैल्शियम तथा इस तरह के पोषक तत्व जमा ना हो सकें।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, या खून की कमी से पीड़ित लोगों को व्रत रखने से कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं।
अलग-अलग धर्म, अलग-अलग व्रत के प्रकार:
व्रत, धर्म का साधन माना जाता है इसलिए संसार के सारे धर्मों ने किसी न किसी रूप में व्रत और उपवास को अपनाया है। हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम, जैन धर्म में भी व्रत किए जाते हैं। हर धर्म में इसे अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है जैसे इस्लाम में रोजा, ईसाई में फास्टिंग (Fasting)। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उपवास कुछ घंटो, कुछ दिनों के या महीने भर के हो सकते हैं लेकिन हर धर्म में इसका मकसद त्याग और खुद को अंदर से साफ करना होता है।
लाइफस्टाइल और व्रत:
व्रत के बारे में कहा जाता है कि ये सिर्फ आस्था से नहीं बल्कि स्वास्थ्य से भी जुड़ा होता है। दिन में एक बार या दो बार का खाना ना खाकर शरीर को भी अंदर से साफ किया जा सकता है, पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है। विदेशों में लोग fasting lifestyle OMAD(One meal a day) अपना रहे हैं जिससे उनका वजन नियंत्रण में रह सकें लेकिन आजकल देखा गया है कि भागदौड़ भरी दिनचर्या में लोग सामान्य खानपान पर ध्यान नहीं दे पाते, तो उपवास उनके लिए और भी भारी पड़ जाता है।
घर में रहकर लोग व्रत में खास और पौष्टिक खाना खा सकते हैं, फलाहार कर सकते हैं लेकिन बाहर ऐसी दिनचर्या हो पाना संभव नहीं हो पाता या काफी मुश्किल हो जाता है। लोग व्रत में बिना अनाज का खाना खा लेते हैं लेकिन कब खाना है, कितना खाना है या बिल्कुल भी नहीं खाना है, इसके बारे में उनको जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से यह सब चीज़ें उनपर नकारात्मक प्रभाव डालती है। लोगों को ऊर्जा में कमी होती है जिससे वह व्रत नहीं रख पाते है।
महिलाओं और पुरुष में व्रत की भावना:
वैसे तो किसी की श्रद्धा और विश्वास पर ज्यादा बोल नहीं सकते, लेकिन ऐसा देखा गया है कि धर्म के मामले में पुरुषों से ज्यादा महिलाऐं आगे रहती हैं। बेटे के लिए व्रत हो, पति के लिए व्रत हो या घर की सुख शांति के लिए व्रत हो सभी के लिए व्रत करने में महिलाऐं आगे रहती है।
अगर व्रत रखकर शरीर परेशान रहता है तो व्रत नहीं करना चाहिए। क्योंकि शरीर भी उतना ही महत्व रखता है जितना व्रत करना।
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