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Ayurvedic treatment for dementia: आयुर्वेद में छिपा है अल्जाइमर का इलाज, जानें 3 असरदार आयुर्वेदिक उपचार

Ayurvedic treatment for dementia: आयुर्वेद में छिपा है अल्जाइमर का इलाज, जानें 3 असरदार आयुर्वेदिक उपचार

अल्जाइमर रोग डिमेंशिया (Ayurvedic Treatment for dementia) का एक प्रकार है जो रोगी के शारीरिक और मानसिक रूप से काम करने में नकारात्मक प्रभाव डालता है।

इसके मरीजों को भूलने की बीमारी होती है। धीरे-धीरे यह बीमारी इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति रोजमर्रा की छोटी-छोटी बातें भी भूलने लगता है।

 

आइये आपको बताते है अल्जाइमर के आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for dementia)।

अल्जाइमर रोग के आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Dementia)

तिल का तेल का इस्तेमाल करें: आयुर्वेद (Ayurvedic Treatment for dementia) में तिल के तेल का प्रयोग याददाश्त बढ़ाने में उपयोगी है। तिल के तेल को गुनगुना गर्म करके उसकी 3-3 बूंदें अपने नाक के दोनों नथुनों में डालें। सिर व पैरों के तलवों की मालिश के अलावा तेल को भोजन में प्रयोग कर सकते हैं।

अश्वगंधा का इस्तेमाल करें: अश्वगंधा (Ayurvedic Treatment for Dementia) एक ऐसी जड़ी बूटी है जो रोग को बढऩे से रोकती है। इसका काम दिमाग को मजबूत करना है। कई शोध के अनुसार इससे शरीर में ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स बनते हैं जो दिमागी नसों को एक्टिव रखते हुए मानसिक कार्यक्षमता बढ़ाते हैं।

हल्दी व बादाम का इस्तेमाल करें: हल्दी (Ayurvedic Treatment for dementia) में मौजूद करक्यूमिन तत्व अच्छा एंटीऑक्सीडेंट्स है। रोजाना भोजन में इसके इस्तेमाल से या फिर दूध में चुटकी भर इसे लेने से दिमाग को ताकत मिलती है। यह दिमाग की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को रिपेयर करती है। वहीं बादाम ब्रेन के लिए हेल्दी फूड है। इसमें मौजूद विटामिन-ई याददाश्त बढ़ाने में सहायक है। (यह भी पढ़ें: हल्दी के दूध के फायदे)

शंखपुष्पी का इस्तेमाल करें: बे्रन टॉनिक है शंखपुष्पी (Ayurvedic Treatment for dementia)। इसके खास तत्व दिमागी कोशिकाओं को सक्रिय कर भूलने की समस्या दूर करते हैं। 3-6 ग्राम चूर्ण रोज दूध के साथ पिएँ।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग किसी भी प्रकार से दवाई या डॉक्टर से लिया गया इलाज का विकल्प नहीं है। किसी भी समस्या के लिए डॉक्टर से  www.aayu.app पर परामर्श लें ।

 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

(A) भूलने की बीमारी क्यों होती है?

अल्जाइमर एक तरह की भूलने की बीमारी है। इसके लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय ना ले पाना, बोलने में दिक्कत आना आदि शामिल हैं। बीपी, डायबिटीज, आधुनिक जीवनशैली और सिर में चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। 60 साल की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थाई इलाज नहीं है।

(B) भूलने की बीमारी को कैसे दूर करे?

भूलने की बीमारी दूर करने के लिए आप बादाम, कद्दू के बीज, अखरोट आदि खा सकते है।

(C) दिमाग की बीमारी कैसे होती है?

मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) दिमाग की क्षमता का निरंतर कम होना है। यह दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है। ये बदलाव स्मृति, सोच, आचरण तथा मनोभाव को प्रभावित करते हैं। अल्जाइमर रोग मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की सबसे सामान्य किस्म है।

(D) दिमाग काम नहीं करने का कारण क्या है?

जरूरत से ज्यादा या कम नींद के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं, जिससे आपकी याद्दाश्त कमजोर होती है। इसलिए आपको रोजाना 7-8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। मीठा खाने की लत भी आपके दिमाग के लिए खतरनाक हो सकती है।

(E) रोग क्यों होता है?

रोग उत्पन्न करने वाले कारकों को रोगजनक (पैथोजन) कहते हैं जैसे-जीवाणु, विषाणु (वायरस), प्रोटोजोआ , कवक, आदि। कुछ रोग आनुवंशिक कारणों से भी उत्पन्न होते हैं।

(F) रोग का प्रसार कैसे होता है?

ये वायरस रोगी के मल में होतें है पीलिया रोग से पीडित व्‍यक्ति के मल से, दूषित जल, दूध अथवा भोजन द्वारा इसका प्रसार होता है। ऐसा हो सकता है कि कुछ रोगियों की आंख, नाखून या शरीर आदि पीले नही दिख रहे हों परन्‍तु यदि वे इस रोग से ग्रस्‍त हो तो अन्‍य रोगियो की तरह ही रोग को फैला सकते हैं।

 

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