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ऑटिज्म का मतलब (Autism Meaning in Hindi), जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय | Daily Health Tip | Aayu App

ऑटिज्म का मतलब (Autism Meaning in Hindi), जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय | Daily Health Tip | Aayu App

Autism Meaning in Hindi:ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक दिमागी बीमारी है। इसमें मरीज ना अपनी बात ठीक से कह पाता है ना ही दूसरों की बात समझ पाता है। यह एक डेवलपमेंटल डिसेबिलिटी है। इसके लक्षण बचपन से ही नजर आते है। यदि इन लक्षणों को समय रहते भांप लिया जाए, तो काबू किया जा सकता है। (Autism causes, symptoms & treatment in Hindi)

सामान्य इंसान में दिमाग के अलग-अलग हिस्से एक साथ काम करते है, लेकिन ऑटिज्म (Autism) में ऐसा नहीं होता। यही कारण है कि उनका बर्ताव असामान्य हो जाता है। ऐसे समय में मरीज की मदद करें।

ऑटिज्म के लक्षण: Autism Symptoms in hindi

बच्चे हमारी भाषा नहीं समझते, लेकिन हाव भाव और इशारों को समझना शुरू कर देते है। जिन बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण होते है, उनका बर्ताव अलग होता है। वे इन हाव भाव को समझ नहीं पाते या इन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते है।

ऐसे बच्चे निष्क्रिय रहते हैं। बच्चा जब बोलने लायक होता है तो साफ नहीं बोल पाता है। उसे दर्द महसूस नहीं होगा। आंखों में रोशनी पड़ेगी, कोई छुएगा या आवाज देगा तो वे प्रतिक्रिया नहीं देंगे। थोड़ा बड़ा होने पर ऑटिज़्म के मरीज बच्चे अजीब हरकतें करते है जैसे पंजों पर चलना।

अधिकांश बच्चों में अनुवांशिक कारणों से यह बीमारी होती है। कहीं-कहीं पर्यावरण का असर इस बीमारी का कारण बनता है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। बच्चे को जीवनभर इस खामी के साथ जीना पड़ता है। लक्षणों को कम जरूर किया जा सकता है। गर्भावस्था की जटिलताओं के कारण भी बच्चे इसका शिकार बनते है।

ऑटिज्म का इलाज: Autism treatment in Hindi

ऑटिज्म (Autism) का इलाज आसान नहीं है। बिहेवियर थेरेपी, स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी से शुरुआती इलाज होता है। जरूरत पड़ने पर दवा दी जा सकती है। बिहेवियर थेरेपी, स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी का यही उद्देश्य है कि बच्चे से उसकी भाषा में बात की जाए और उसके दिमाग को पूरी तरह जाग्रत किया जाए।

ठीक तरह से इन थेरेपी पर काम किया जाए तो कुछ हद तक बच्चा ठीक हो जाता है। वह अजीब हरकत करना कम कर देता है। दूसरे बच्चों के साथ खेल में शामिल होने लगता है। एक ही शब्द या बात को बार-बार कहने की आदत छूट जाती है।

इसलिए माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वे बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। बच्चे के हाव भाव को समझें। उनसे बात करने की कोशिश करें। ध्यान देने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चा भी सामान्य जीवन जी सकता है।

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा आयु ऐप (AAYU App) पर डॉक्टर से संपर्क करें.

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