Corona brief news: भारत को 10 करोड़ वैक्सीन बेचेगा रूस, फेफड़ें पंक्चर होने का मतलब
अमेरिका में लोगों को फ्री में कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। वैक्सीन लगाने के अभियान के लिए हेल्थ एजेंसियों और रक्षा विभाग ने योजना तैयार की है।
इसके लिए अगले साल जनवरी या इस साल के आखिर तक अभियान शुरू किया जाएगा। वैक्सीन को पेंटागन डिस्ट्रीब्यूट करेगा, लेकिन इसे सिविल हेल्थ वर्कर्स लगाएंगे।
1. अमेरिका में लोगों को फ्री में वैक्सीन लगाई जाएगी-
रूस भारतीय फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डी को 10 करोड़ स्पूतनिक V वैक्सीन बेचेगा। इसके लिए रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के साथ समझौता किया जाएगा। रूस के सॉवरेन वैल्थ फंड ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। इस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। इसे गामेलया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है। इसकी डिलिवरी ट्रायल खत्म होने के बाद और भारत में इसके रजिस्ट्रेशन के बाद शुरू होगी।
2. फेफड़ें पंक्चर होने का मतलब –
फेफड़ों के पंक्चर होने को वैज्ञानिक भाषा में नीमोथेरेक्स कहते है। यह उन मरीजों में हो सकता है जो पहले से अस्थमा, टीबी, या सांस की तकलीफ से ग्रसित है। ऐसा तब होता है जब कोरोना सर्वाइवर के फेफड़ोंं में दबाव बढ़ने से उसमें छेद हो जाता हैं।
हर 100 में से एक कोरोना सर्वाइवर में फेफड़े पंक्चर होने का मामला सामने आ रहा है। कोविड से ठीक होने वाले मरीजों में फेफड़े पंक्चर होने के कुछ मामले सामने आए हैं।
कुछ मरीजों में ऐसा पाया गया है कि फेफड़ों के अंदर की लेयर डैमेज होने के कारण हवा फेफड़े के ऊपरी कवर (प्ल्यूरा) में चली जाती है। निमोथोरेक्स के मामले कोरोना के उन मरीजों में पाए गए हैं, जो पहले से अस्थमा, टीबी या सांस लेने की तकलीफ से जूझ रहे हैं।
रीयूजेबल एन95 मास्क लगाने से बचें:
कई बार कोरोना के मरीजों को रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। जब वह जोर-जोर से सांस लेते है तब अंदर दबाव बढ़ जाता है। दबाव की वजह से फेफड़ों में छेद हो जाता है और हवा प्ल्यूरा के अंदर घुस जाती है। यह एक तरह की खतरनाक बीमारी है। समय पर इलाज ना मिलने से सांस रुकने तक की परेशानी हो सकती है।
इन दिनों एन95 मास्क को रीयूजेबल बता कर बेचा जा रहा है। लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि रीयूजेबल एन95 मास्क का इस्तेमाल करने से बचें। एन95 मास्क को दोबारा साफ करने का तरीका नहीं है। घर के बने मास्क को पानी से धोकर दोबारा इस्तेमाल कर सकते है लेकिन एन95 को नहीं।
इसे एक बार पहनने के बाद 5 दिन के बाद ही इसे वापस पहनना चाहिए। मास्क रखने के लिए अख़बार का इस्तेमाल करें ताकि उसमें नमी ना जाए।
बाजार में इन दिनों नए तरह के मास्क आ रहे हैं। सर्जिकल, डिस्पोजल, एन95 के बाद अब रिचार्जेबल मास्क भी चर्चा में है। यह मास्क दो तरीकों से कीटाणुओं को रोकता है। पहला, इसके पोर्स बहुत छोटे होते हैं। इसे मैकेनिकल फिल्ट्रेशन कहते हैं। दूसरा, इसके अंदर इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज होते हैं, जो कीटाणुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और बाहर ही रोक देते हैं।
इनमें इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। इस तरह के मास्क अभी तक बाजार में नहीं आए है।
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